वो रस्सी
आज भी संग्रहालय में है
जिससे गांधी
बकरी बांधा करते थे
किन्तु
वो रस्सी कहां है
जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे?
" हालात.ए.मुल्क देख के रोया न गया...
कोशिश तो कि पर मूंह ढक के सोया न गया".
देश मेरा
क्या बाजार हो गया है ...
पकड़ता हुँ तिरंगा
तो लोग पूछते है
कितने का है...
जाने कितने झूले थे
फाँसी पर
,कितनो ने गोली खाई थी....
क्यों
झूठ बोलते हो साहब,
कि चरखे से
आजादी आई थी....
इंकलाब जिंदाबाद।
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